चल मुसाफिर चल !!


चल मुसाफिर चल
चलते है तुझे रहना…
लहरों से खेल कर,
अब तुझे है बहना…
चल मुसाफिर चल,
चलते है तुझे रहना…
किस सोच में पड़ा तू !!
किस मोड़ पे खड़ा तू !!
अब खुद से बस ये कहना
चल मुसाफिर चल,
चलते है तुझे रहना…
ख्वाहिशें तमाम हैं,
पाना तुझे मुकाम है
अब चाहतों की आग में
जल कर भी तुझे है सहना
चल मुसाफिर चल,
चलते है तुझे रहना…
साथ क्या लाया था तू ??
लेकर क्या जाएगा !!
ये सफर ही है मुसाफिर ,
जो संग तेरे रह जाएगा
बैठ क्यों गया तू !!
किस सोच में पड़ा तू
उठ !! अभी मत रुकना
चल मुसाफिर चल,
चलते है तुझे रहना…20160913_142614

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